भारत सरकार स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण विभाग
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पीएमएमएसवाई क्‍यों?

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पीएमएसएसवाई के अंतर्गत ये नए एम्‍स सामान्‍यत: स्‍पेश्‍यिलिटी और सुपर स्‍पेश्‍यिलिटी स्‍तरों पर प्रदत्‍त स्‍वास्‍थ्‍य परिचर्या से जुड़े हुए हैं। ये संस्‍थान डॉक्‍टरों तथा अन्‍य संबद्ध स्‍वास्‍थ्‍य कार्मिकों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में भी कार्य करते हैं। ये संस्‍थान प्राय: अत्‍याधुनिक तकनीकी उपकरणों से सुसज्‍जित हैं जिनके काम की जानकारी से प्रशिक्षणार्थी को नवीनतम प्रौद्योगिकियों से युक्‍त उन्‍नत एवं अद्यतन व्‍यावहारिक अनुभव मिलता है। विगत कुछेक वर्षों के दौरान संचारी और गैर-संचारी दोनों ही रोगों के होने में तेजी आई है। राज्‍यों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करने के अलावा केंद्र सरकार पूरे देश में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी विभिन्‍न कार्यक्रम क्रियान्‍वित कर रही थी। तथापि, एक अधिकाधिक सुव्‍यवस्‍थित एवं समावेशी ऐसे स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम की आवश्‍यकता महसूस की गई जो मुख्‍यतया देश में ज्‍यादा से ज्‍यादा तृतीयक परिचर्या केंद्रों की जरूरतों की पूर्ति करे। इसी पृष्‍ठभूमि में सामान्‍यत: पूरे देश में वहनीय / विश्‍वसनीय तृतीय स्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य परिचर्या की उपलब्‍धता में असंतुलन को सही करने तथा देश के अल्‍पसेवित राज्‍यों में गुणवत्‍तायुक्‍त चिकित्‍सा शिक्षा के लिए सुविधाओं की वृद्धि करने के उद्देश्‍य से पीएमएसएसवाई पहली बार मार्च, 2006 में शुरु किया गया। देश के अल्‍पसेवित और असेवित क्षेत्रों में एम्‍स जैसे छ: संस्‍थान (एएलआई) की स्‍थापना की योजना बनाई गई। आर्थिक मामले संबंधी मंत्रिमण्‍डल समिति (सीसीईए) ने 332 करोड़ रुपए प्रति संस्‍थान की दर से मार्च, 2006 में इस योजना को मंजूरी दी। तथापि मार्च, 2010 में इस लागत में 820 करोड़ रुपए प्रति संस्‍थान तक वृद्धि हो गई।

12वीं योजना (2012-17) के लिए तृतीयक परिचर्या संस्‍थानों संबंधी कार्य समूह

     तथापि, पीएमएसएसवाई के शुरुआती वर्षों में ऐसी कुछ समस्‍याओं का सामना करना पड़ा जो अनुभव की कमी, विश्‍वसनीय इंपुटों की गैर-मौजूदगी इत्‍यादि की वजह से हुई। इसके अलावा, विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को विलंब से तैयार करना तथा सामान्‍य अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं करना जैसे अन्‍य कारक भी थे। इन सभी कारकों का परिणाम निविदा प्रक्रिया में विलंब के रूप में निकला जिससे समय बीतने के साथ-साथ परियेाजना की लागत बढ़ गई।

     तथापि, स्‍कीम के सुचारु तथा प्रभावी कार्यान्‍वयन के लिए मंत्रालय में उचित शासी ढांचा स्‍थापित किया गया। पीएमएसएसवाई के प्रति समर्पित अनन्‍य रूप से एक पृथक प्रभाग गठित किया गया।

     इन छ: साइटों पर निर्माण-कार्य वर्ष 2007-2008 के दौरान शुरु हुआ तथा जोधपुर एवं रायपुर में रिहायशी परिसर का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। तथापि, चिकित्‍सा कॉलेज तथा अस्‍पताल परिसर का निर्माण कार्य विभिन्‍न साइटों पर क्रमश: 23-36% और 10-21% तक ही पूरा हुआ है। ऐसी आशा है कि सभी प्रकार के सिविल निर्माण कार्य (रिहायशी, चिकित्‍सा कॉलेज एवं अस्‍पताल) सितंबर, 2012 तक पूरे हो जाएंगे। अन्‍य चार साइटों पर निर्माण कार्य मई, 2012 तक पूरा होगा।

     बीते हुए वर्ष न केवल पीएमएसएसवाई की निरंतर वृद्धि के साक्षी रहे हैं अपितु केंद्र सरकार को पर्याप्‍त अनुभवी शिक्षा भी मिली है। स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय अब ऐसी अन्‍य परियोजनाओं को शुरु करने के लिए पूर्ण समर्थ है जैसा कि योजना आयोग ने जरूरी समझा है वास्‍तव में उत्‍तर प्रदेश और पश्‍चिम बंगाल राज्‍यों में दो अतिरिक्‍त एएलआई के लिए भी पहले ही स्‍वीकृति दी जा चुकी है।